अत्यधिक चिंता ना करें, इच्छाओं का अंत नही होता अतः संतुष्ट रहना भी सीखें

कटु सत्य :-
पर्रिकर जी चले गये, सुषमा जी चली गई, जेटली जी चले गये, इन सब घटनाओं से आपने क्या सीखा,
ये सब बुढापे की मौत नही गये, ये सब किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे, आप ये भी नही कह सकते कि इनके खानपान में कमी होगी, 24 घंटे चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध थी, विश्व के सब ऐशो आराम इनको उपलब्ध थे फिर आखिर क्या हुआ कि इनकी मौत समय से पहले हो गई,
इस शरीर के 2 बहुत बड़े घुन हैं,
 एक अत्यधिक शारारिक आराम और
दूसरी चिंता या अत्यधिक मानसिक थकान।

बस इन्ही चीजों से अपने आप को बचाइये, जीवन में व्याधि नही आयेंगी।
किसी के लिए भी कभी भूखा प्यासा रहकर कार्य ना करें, अपने बच्चों के लिए भी नही, क्योंकि आपका शरीर स्वस्थ है तो आप हैं और आप है तो उनको भी सहारा दे ही सकते हैं, प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य और कौशल साथ लेकर आता है इसलिए
किसी के लिए भी अत्यधिक चिंता ना करें, इच्छाओं का अंत नही होता अतः संतुष्ट रहना भी सीखें।

जीवन मे पद महत्वपूर्ण वस्तु है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आपका अपना शरीर है, आपकी महता तभी तक है जब तक आपका शरीर स्वस्थ है, यही आपका वास्तविक जीवन साथी है, जब तक आपका शरीर स्वस्थ है, आपका जीवन सार्थक है।
ॐ नमः शिवाय।
 -संत 🙏
सन्दर्भ- व्हाट्सएप में प्राप्त संदेश

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