सुंदर कान्ड में सफलता के सूत्र- भाग २


  • जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।।
  • सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।।
  • आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।।
  • पवनसुत हनुमान को देवों ने जाते हुए देखा तो मन में संभवत विचार आया कि हनुमान को ही राम ने क्यों चुना किसी और को क्यों नहीं इसी विचार की पुष्टि हेतु उन्होंने सुरसा जो सापों की माँ थी उसे हनुमान की बल और विशेष रूप से बुद्धि (कारण हनुमान बल परीक्षण तो जन्म से देते आ रहे थे) की परीक्षा लेने को भेजा, कुछ ऐसा ही अक्सर हम लोगों के साथ होता है कि जब हमें हमारे वरिष्ठ (senior/boss) कई लोगों के टीम (team) में होते हुये हमें चुन लेते हैं तो टीम और कम्पनी के अन्य सदस्य संशय की दृष्टि से देखने लगते है और उस समय कंपनी तथा हमारा हित चाहने वाले अन्य सदस्य कहते हैं थोड़ा और विचार कर लेते है और परख लेते हैं कि ये व्यक्ति लक्ष्य (goal)  हासिल कर भी पाएगा कि नहीं?? 
  •  कहने का तात्पर्य ये है कि जब भी ऐसी पारिस्थिति आये तो अपनी बुद्धि एवं कुशलता का परिचय दे ना कि हताश हों। 

  • आगे की चौपायी और दोहो का विवेचन अगली कड़ी में

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