मैं आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा हूं?
जीवन में कुछ बड़ा कैसे करूँ?
जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्या चीज आपके अंदर होनी चाहिए
जीवन (लाइफ life) में आगे बढ़ने के लिए क्या करे
जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें क्या करना होगा?
जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्या जरूरी है?
जिंदगी में कुछ करना है तो क्या करना चाहिए? जीवन में हर कोई सफलता पाना चाहता है लेकिन जीवन में सफल होने के लिए जो सबसे जरुरी गुण है क्या वो आपके पास है ,आखिर कौन सा वो गुण (quality क्वालिटी) है आइये जाने इस कहानी में :-
टीचर ने क्लास केसभी बच्चों को एक खूबसूरत टॉफ़ी दी और फिर एक अजीब बात कही -
सुनो, बच्चों! आप सभी ने दस मिनट तक अपनी टॉफ़ी नहीं खानी है और ये कहकर वो क्लास रुम से बाहर चले गए।
कुछ पल के लिए क्लास में सन्नाटा छा गया। हर बच्चा उसके सामने पड़ी टॉफ़ी को देख रहा था
और हर गुज़रते पल के साथ खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था।
दस मिनट पूरे हुए और टीचर क्लास रुम में आ गए। समीक्षा की। पूरे वर्ग में सात बच्चे थे, जिनकी टॉफ़ीयां ज्यों की त्यों रखीं थीं। जबकि बाकी के सभी बच्चे टॉफ़ी खाकर उसके रंग और स्वाद पर टिप्पणी कर रहे थे।
टीचर ने चुपके से इन सात बच्चों के नाम को अपनी डायरी में दर्ज कर दिए और नोट करने के बाद पढ़ाना शुरु कर दिया।
इस शिक्षक का नाम प्रोफेसर वाल्टर मशाल था।
कुछ वर्षों के बाद प्रोफेसर वाल्टर ने अपनी वही डायरी खोली और सात बच्चों के नाम निकाल कर उनके बारे में शोध शुरु कर दिया।
एक लंबे संघर्ष के बाद, उन्हें पता चला कि सातों बच्चों ने अपने जीवन में कई सफलताओं को हासिल किया है और अपने अपने फील्ड के लोगों की संख्या में सबसे सफल हैं।
प्रोफेसर वाल्टर ने अपने बाकी वर्ग के छात्रों की भी समीक्षा की और यह पता चला कि उनमें से ज्यादातर एक आम जीवन जी रहे थे, जबकी कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें सख्त आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था।
इन सभी प्रयास और शोध का परिणाम प्रोफेसर वाल्टर ने एक वाक्य में निकाला और जो यह था -
"जो आदमी दस मिनट तक धैर्य नहीं रख सकता, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता”
इस शोध को दुनिया भर में शोहरत मिली और इसका नाम "मार्श मेलो थ्योरी" रखा गया था क्योंकि प्रोफेसर वाल्टर ने बच्चों को जो टॉफ़ी दी थी उसका नाम "मार्श मेलो" था। यह फोम की तरह नरम थी।
इस थ्योरी के अनुसार दुनिया के सबसे सफल लोगों में कई गुणों के साथ एक गुण 'धैर्य' पाया जाता है, क्योंकि यह ख़ूबी इंसान के बर्दाश्त की ताक़त को बढ़ाती है जिसकी बदौलत आदमी कठिन परिस्थितियों में निराश नहीं होता और वह एक असाधारण व्यक्तित्व बन जाता है।
धैर्य ही जीवन का सार है।
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साभार:- whats app संदेश👍😊🌹😊👍
सुनो, बच्चों! आप सभी ने दस मिनट तक अपनी टॉफ़ी नहीं खानी है और ये कहकर वो क्लास रुम से बाहर चले गए।
कुछ पल के लिए क्लास में सन्नाटा छा गया। हर बच्चा उसके सामने पड़ी टॉफ़ी को देख रहा था
और हर गुज़रते पल के साथ खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था।
दस मिनट पूरे हुए और टीचर क्लास रुम में आ गए। समीक्षा की। पूरे वर्ग में सात बच्चे थे, जिनकी टॉफ़ीयां ज्यों की त्यों रखीं थीं। जबकि बाकी के सभी बच्चे टॉफ़ी खाकर उसके रंग और स्वाद पर टिप्पणी कर रहे थे।
टीचर ने चुपके से इन सात बच्चों के नाम को अपनी डायरी में दर्ज कर दिए और नोट करने के बाद पढ़ाना शुरु कर दिया।
इस शिक्षक का नाम प्रोफेसर वाल्टर मशाल था।
कुछ वर्षों के बाद प्रोफेसर वाल्टर ने अपनी वही डायरी खोली और सात बच्चों के नाम निकाल कर उनके बारे में शोध शुरु कर दिया।
एक लंबे संघर्ष के बाद, उन्हें पता चला कि सातों बच्चों ने अपने जीवन में कई सफलताओं को हासिल किया है और अपने अपने फील्ड के लोगों की संख्या में सबसे सफल हैं।
प्रोफेसर वाल्टर ने अपने बाकी वर्ग के छात्रों की भी समीक्षा की और यह पता चला कि उनमें से ज्यादातर एक आम जीवन जी रहे थे, जबकी कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें सख्त आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था।
इन सभी प्रयास और शोध का परिणाम प्रोफेसर वाल्टर ने एक वाक्य में निकाला और जो यह था -
"जो आदमी दस मिनट तक धैर्य नहीं रख सकता, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता”
इस शोध को दुनिया भर में शोहरत मिली और इसका नाम "मार्श मेलो थ्योरी" रखा गया था क्योंकि प्रोफेसर वाल्टर ने बच्चों को जो टॉफ़ी दी थी उसका नाम "मार्श मेलो" था। यह फोम की तरह नरम थी।
इस थ्योरी के अनुसार दुनिया के सबसे सफल लोगों में कई गुणों के साथ एक गुण 'धैर्य' पाया जाता है, क्योंकि यह ख़ूबी इंसान के बर्दाश्त की ताक़त को बढ़ाती है जिसकी बदौलत आदमी कठिन परिस्थितियों में निराश नहीं होता और वह एक असाधारण व्यक्तित्व बन जाता है।
धैर्य ही जीवन का सार है।
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