हनुमान जी के शादीशुदा होने के बाद भी उन्हें बालब्रह्मचारी क्यों कहा जाता है ?

सर्व प्रथम ब्रह्मचारी है कौन इस पर विचार करते हैं। ब्रह्म +आचारी अर्थात ब्रह्म की भाँति जो आचरण करे या ब्रह्म द्वारा दिखाये गए पथ 👣 पर जो चले उसे ही ब्रह्मचारी कहा जाता है।

ब्रह्मचारी का अर्थ है इंद्रियों और विचारों पर पूर्ण सँयम (नियंत्रण नहीं), विकारों पर संपूर्ण अधिकार।

सँयम का अभिप्राय इंद्रियों का दमन नहीं अपितु उनका यथोचित एवं संयमित सदुपयोग भी है।

ब्रह्मचारी का बहुत हल्का अर्थ लिया जाने लगा है जैसे कि किसी स्त्री के साथ संसर्ग ना करना या स्त्री से दूर रहना।

ब्रह्मचारी का अर्थ है कि किसी स्त्री को स्पर्श करने पर भी मेरे मन में कोई विकार ना उत्पन्न हो। मुझे उसकी सेवा करते समय मेरा मन कलुषित ना हो तो मैं ब्रह्मचारी हूँ। मुझे ब्रह्म के स्पर्श की अनुभूति हो तो मैं ब्रह्मचारी हूँ। और ये अनुभूति मुझे कभी भी किसी के साथ हो सकती है यदि मैं और मेरा मन विकारों के ऊपर संपूर्ण अधिकार रखता हूँ।

अब प्रश्न उठता है कि हनुमान विवाहित थे तो ब्रह्मचारी कैसे हुए?

हाँ हनुमान ने विवाह तो किया था सूर्य पुत्री सुवर्चला के संग, क्योंकि हनुमान को कुछ विद्या अर्जित करनी थी सूर्य देव से और वो विद्या को पाने का अधिकारी वही था जो विवाहित हो। सुवर्चला एक तपस्वनी थीं जिन्होंने अपने पिता की आज्ञा एवं निर्देशवश हनुमान से पाणिग्रहण तो किया किंतु कभी भी उन दोनो ने दंपति की भाँति साथ जीवन नहीं बिताया। हनुमान विवाहित होकर भी ब्रह्मचारी बने रहे।

व्यक्ति विवाहित होकर भी ब्रह्मचारी हो सकता है यदि वह विकारों और विचारों का सँयम बनाये रख सके।


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