क्या वास्तव में सनातन धर्म में स्त्री के साथ भेदभाव किया गया है

 

पंडित जी की पोथी या हमारे हिंदू धर्म में बेटा और बेटी से भेदभाव क्यों किया जाता है ऐसे तो इन्सान का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा तो धर्म भी अपने आप समाप्त हो जायेगा?

ये एक बहु आयामी प्रश्न है इसलिए केवल ये सुन कर की बेटियों को दबा कर रखा जाता है इसका जवाब देना असंभव है। बेहतर होता की आप ये बताते की किस जगह पर बेटियों को दबाया गया है तो मैं ज्यादा अच्छे से आपको जवाब दे पाता।

लेकिन फिर भी आपकी बात को मान कर मै ये बता सकता हूँ की पधर्म के नाम पर जितना अधर्म फैला है उसका सबसे बड़ा कारन है की पुराणों में मिलावट की गयी है और आज का हिन्दू धर्म वैदिक मान्यताओं को भूल कर इस प्राणों की मिलावट को मान रहा है और इसी पर चल रहा है।

वेदों में महिलाओं के बारे में क्या कहा गया है आइये जानते हैं :

हनुमान जी के शादीशुदा होने के बाद भी उन्हें बालब्रह्मचारी क्यों कहा जाता है ?

सर्व प्रथम ब्रह्मचारी है कौन इस पर विचार करते हैं। ब्रह्म +आचारी अर्थात ब्रह्म की भाँति जो आचरण करे या ब्रह्म द्वारा दिखाये गए पथ 👣 पर जो चले उसे ही ब्रह्मचारी कहा जाता है।

ब्रह्मचारी का अर्थ है इंद्रियों और विचारों पर पूर्ण सँयम (नियंत्रण नहीं), विकारों पर संपूर्ण अधिकार।

सनातन धर्म में परिक्रमा क्या है और इसे क्यों कराते हैं

 हिन्दू धर्म में परिक्रमा का बड़ा महत्त्व है। परिक्रमा से अभिप्राय है कि सामान्य स्थान या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी बाहिनी तरफ से घूमना। इसको 'प्रदक्षिणा करना' भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है। प्रदक्षिणा की प्रथा अतिप्राचीन है। वैदिक काल से ही इससे व्यक्ति, देवमूर्ति, पवित्र स्थानों को प्रभावित करने या सम्मान प्रदर्शन का कार्य समझा जाता रहा है। दुनिया के सभी धर्मों में परिक्रमा का प्रचलन हिन्दू धर्म की देन है। 

परिक्रमा मार्ग और दिशा : 'प्रगतं दक्षिणमिति प्रदक्षिणं’ के अनुसार अपने दक्षिण भाग की ओर गति करना प्रदक्षिणा कहलाता है। प्रदक्षिणा में व्यक्ति का दाहिना अंग देवता की ओर होता है। 

 ‘शब्दकल्पद्रुम’ में कहा गया है कि देवता को उद्देश्य करके दक्षिणावर्त भ्रमण करना ही प्रदक्षिणा है।

प्रदक्षिणा का प्राथमिक कारण सूर्यदेव की दैनिक चाल से संबंधित है। जिस तरह से सूर्य प्रात: पूर्व में निकलता है, दक्षिण के मार्ग से चलकर पश्चिम में अस्त हो जाता है, उसी प्रकार वैदिक विचारकों के अनुसार अपने धार्मिक कृत्यों को बाधा विध्नविहीन भाव से सम्पादनार्थ प्रदक्षिणा करने का विधान किया गया। शतपथ ब्राह्मण में प्रदक्षिणा मंत्र स्वरूप कहा भी गया है, सूर्य के समान यह हमारा पवित्र कार्य पूर्ण हो।

 दार्शनिक दृष्टि से भी देखें तो संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रत्येक ग्रह-नक्ष‍त्र किसी न किसी तारे की परिक्रमा कर रहा है। यह परिक्रमा ही जीवन का सत्य है। व्यक्ति का संपूर्ण जीवन ही एक चक्र है। इस चक्र को समझने के लिए ही परिक्रमा जैसे प्रतीक को निर्मित किया गया। भगवान में ही सारी सृष्टि समाई है, उनसे ही सब उत्पन्न हुए हैं, हम उनकी परिक्रमा लगाकर यह मान सकते हैं कि हमने सारी सृष्टि की परिक्रमा कर ली है। परिक्रमा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है । किस देवी देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए इस पर अगली पोस्ट पर चर्चा करेंगें।

आयुर्वेद का अमृत। जीवनदायी गिलोय

  गिलोय को अमृता भी कहा जाता है। यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है, जो इसका प्रयोग करे। कहा जाता है की देव दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पड़ीं, वहां वहां गिलोय उग गई। गिलोय हर तरह के दोष का नाश करती है। 
            कैंसर की बीमारी में ६ से ८ इंच की इसकी डंडी लें इसमेंं ह्वीटग्रास का जूस और ५-७ पत्ते तुलसी के और ४-५ पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन खाली पेट करने से खून की कमी भी नहीं होती है। इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं, पत्तों का नहीं, उसका लिसलिसा पदार्थ ही औषधि है।
             गिलोय की डंडी को चूस भी सकते हैैं, चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें, हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी। इसके सेवन से रक्त संबंधी विकार नहीं होते हैं, टाक्सिन खत्म हो जाते हैं और बुखार तो बिलकुल नहीं आता। पुराने से पुराना बुखार खत्म हो जाता है।
           इससे पेट की बीमारी, दस्त, पेचिश, आंव, त्वचा की बीमारी, लीवर की बीमारी, गांठें, मधुमेह, बढ़ा हुआ ईएसआर, टीबी, लिकोरिया, हिचकी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं । 

शिवलिंग पर रोज़ाना हज़ारों लीटर दूध की बर्बादी को आप कैसे उचित ठहरा सकते हैं?

 क्या ऐसा करना उचित नही होगा कि आप अपने बड़े घर को बेच कर एक झोपड़ी में चले जाएं और बाकी बचे पैसे गरीबों में दान कर दें?

  • या ये कि आप अपने बच्चे को सरकारी विद्यालय भेजें और बचे हुए पैसे से गरीब बच्चों को पढ़ा दें?
  • या ये कैसा रहेगा कि आप अपना और अपने परिवार का इलाज सरकारी अस्पताल में कराएं और बाकी पैसो से गरीबों का इलाज बढ़िया अस्पताल में करवा दें?